Covid-19 महामारी की सालगिरह पर, यह सोचना आसान है कि सब कुछ बदल गया है।
पर क्या ऐसा है? बीते साल में हमने बहुत कुछ सीखा, लेकिन वह कम पड़ जाता है इस बात के आगे की इस दौर में सरकारों, बड़े पूँजीपति प्रतिष्ठानो, और अंतर्राष्ट्रीय दवाई कम्पनियों ने मिलजुल कर इस वस्तुस्थिति को बरकरार रखने की पूरी कोशिश की।
हमारे सामने अब केवल दो विकल्प हैं। एक रास्ता हमें पीछे की ओर ले जाता है - उपेक्षा के एक ऐसे ग्रह पर, जहां वैश्विक पूँजीपति वर्ग स्वयं की रक्षा करते हैं, सर्वहारा और मेहनतकश वर्ग के शरीरों को ढाल बनाकर।
दूसरा रास्ता जीवन की ओर जाता है - समवेदना, समानता और लोकप्रिय संप्रभुता के एक ग्रह की ओर।
Covid-19 की वर्षगांठ पर, हम ‘ज़िंदगी के लिए एक घोषणापत्र' लिख रहे हैं - क्या आप हमारे इस मुहिम में जुड़ेंगे?
पहला, Covid-19 के लिए एक जनता का टीका। कोई भी देश अकेले इस महामारी को समाप्त नहीं कर सकता है। Covid-19 कहीं भी हो, वह हर जगह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है। इसलिए वैश्विक स्वास्थ्य के परिप्रेक्ष में यह ज़रूरी है की Covid-19 वैक्सीन से जुड़ी सभी जानकारी और उत्पादन के लिए संसाधन सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध हो।
दूसरा, एक ऐसा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जो विश्व स्वास्थ्य के लिए सही मायने में काम कर सकता है। यह WHO को अमीर देशों की बाध्यताओं, निजी धन और बड़े वित्तीय संस्थानों के जाल से मुक्त करने का समय है। एक स्वतंत्र WHO, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों का निर्माण करने में मदद कर सकेगा जो लोगों को आत्म निर्भर बनाएगा।
तीसरा, निजी पूंजी को सार्वजनिक स्वास्थ्य और उद्देस्य के अधीन होना होगा। आज “बड़ी दवाई कम्पनियों” का एकमात्र उद्देश्य बीमार पड़ने वाले लोगों से लाभ प्राप्त करना है। इसके विपरीत जीने की अधिकार को वैश्विक स्तर पर सुनिश्चित करने के लिए, मुफ़्त और सबके लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा से शुरुआत करनी होगी। निजी नहीं सरकारी इंतज़ाम करने होंगे।
चौथा, मानव जीवन एक सौदेबाजी का सिक्का नहीं है। एक सच्ची वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली चिकित्सा प्रतिबंधों को समाप्त करेगी, और युद्ध के बजाए सहयोग को अपनाएगी, दवाइयों की पूर्ति करेगी बजाए की उन पर रोक लगाएगी।
अंत में, हमारे स्वास्थ्य कर्मियों पर हमें नाज़ है। आभासी तौर पर इन ‘महत्वपूर्ण’ श्रमिकों को नायक के रूप में सम्मानित किया गया है, लेकिन हक़ीक़त में उनसे अमानवीय व्यवहार किया गया है: उन्हें कम मज़दूरी दी गई और उनसे अधिक कार्य कराया गया है। ज़रूरी है की इन्हें प्रशिक्षित, संरक्षित और उचित मज़दूरी मुहैया हो, और अन्य मज़दूरों की तरह उन्हें भी अपने सामूहिक मज़दूर संगठन / ट्रेड यून्यन बनाने का हक़ मिले।
मानव ज़िंदगी के इस घोषणापत्र को समर्थन दें। अपने नाम पर हस्ताक्षर करें।